सूरज डूबता जा रहा था और साथ मेरी उम्मीदें भी
अँधेरा बहार जितना घना हो रहा था
उससे कहीं ज्यादा मुझे अपने में समेट रही थी
और लव्ज़ अब मुझसे कहीं खोने लगे थे
आंसू जो अब बहने लगे थे
तो मुझको यकीं नहीं था की ये कभी थामेंगे
दिल जिसने अब धड़कने से इंकार कर दिया था
क्योंकि उसके एक हिस्से में तुम रहा करती थी
साँसें जो अब भी मेरे शारीर से गुज़र रही थी
पर फिर भी सब कुछ बेजान सा महसूस हो रहा था
नज़रें इधर उधर कुछ तलाश रही थी
जबकि मुझे मालूम था की कुछ बाकी नहीं बचा है
वक़्त थम सा गया था और आगे बढ़ने से इनकार कर रहा था
और मैं, बस पीछे मुड़कर तुम्हे जाते हुए देख रहा था
और, तुमने एक बार भी पलटकर नहीं देखा...
तुम बस गुज़रते गए और यूँही मैं भी गुज़र गया
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साँसें जो अब भी मेरे शरीर से गुज़र रही थी
ReplyDeleteपर फिर भी सब कुछ बेजान सा महसूस हो रहा था
कैसी विकट परिस्थिती बयान कर दी है आपने। मेरी शुभकामनाएं है और बेहतर लिख सकते हैं आप।
shubhakaamanaaye'n .
ReplyDeleteSUPERB MOUSE...........
ReplyDeleteबहुत अच्छे....
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत
ReplyDeleteहौसला अफज़ाई के लिए आप सबका शुक्रिया
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