Sunday, September 26, 2010

तुम बस गुज़रते गए

सूरज डूबता जा रहा था और साथ मेरी उम्मीदें भी
अँधेरा बहार जितना घना हो रहा था
उससे कहीं ज्यादा मुझे अपने में समेट रही थी
और लव्ज़ अब मुझसे कहीं खोने लगे थे
आंसू जो अब बहने लगे थे
तो मुझको यकीं नहीं था की ये कभी थामेंगे
दिल जिसने अब धड़कने से इंकार कर दिया था
क्योंकि उसके एक हिस्से में तुम रहा करती थी
साँसें जो अब भी मेरे शारीर से गुज़र रही थी
पर फिर भी सब कुछ बेजान सा महसूस हो रहा था
नज़रें इधर उधर कुछ तलाश रही थी
जबकि मुझे मालूम था की कुछ बाकी नहीं बचा है
वक़्त थम सा गया था और आगे बढ़ने से इनकार कर रहा था
और मैं, बस पीछे मुड़कर तुम्हे जाते हुए देख रहा था
और, तुमने एक बार भी पलटकर नहीं देखा...

तुम बस गुज़रते गए और यूँही मैं भी गुज़र गया

6 comments:

  1. साँसें जो अब भी मेरे शरीर से गुज़र रही थी
    पर फिर भी सब कुछ बेजान सा महसूस हो रहा था
    कैसी विकट परिस्थिती बयान कर दी है आपने। मेरी शुभकामनाएं है और बेहतर लिख सकते हैं आप।

    ReplyDelete
  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत

    ReplyDelete
  3. हौसला अफज़ाई के लिए आप सबका शुक्रिया

    ReplyDelete